(CAA,NRC)सीएए विरोधी प्रदर्शनों पर साथी की टिप्पणी से सहमत नहीं बॉम्बे हाईकोर्ट के जज सेवलिकर
बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश एमजी सेवलिकर ने शुक्रवार को कहा कि वह संशोधित नागरिकता कानून के विरोध को लेकर अपने एक साथी जज की टिप्पणी से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। जस्टिस सेवलिकर उस पीठ के सदस्य थे जिसने दिल्ली में हुए तब्लीगी जमात कार्यक्रम में भाग लेने वाले विदेशी नागरिकों के खिलाफ मामलों को रद्द कर दिया था।
सेवलिकर ने शुक्रवार को चार पन्नों का आदेश जारी कर कहा कि वह सीएए और एनआरसी के संबंध में न्यायमूर्ति नलावडे की टिप्पणी से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मैं (सीएए और एनआरसी पर) टिप्पणियों से एकमत नहीं हूं क्योंकि इस संबंध में याचिकाओं में आरोप नहीं लगाए गए हैं और न ही इस संदर्भ में कोई साक्ष्य हैं।'उन्होंने कहा, 'इसलिये, मेरी राय में यह टिप्पणियां याचिका के दायरे से बाहर हैं।' न्यायमूर्ति नलावडे ने अपने आदेश में कहा था कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश भर में मुस्लिम समुदाय द्वारा बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए गए क्योंकि उनका मानना था कि मुस्लिम शरणार्थियों और प्रवासियों को नागरिकता नहीं दी जाएगी। उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के न्यायमूर्ति नलावडे और न्यायमूर्ति सेवलिकर की एक खंडपीठ ने इस साल मार्च में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को 21 अगस्त को रद्द करने का आदेश दिया था।
इन लोगों के खिलाफ कथित तौर पर वीजा शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पीठ ने कहा कि आरोपियों को 'बलि का बकरा' बनाया गया। उन पर निराधार आरोप लगाए गए कि वे देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं।
इन लोगों के खिलाफ कथित तौर पर वीजा शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पीठ ने कहा कि आरोपियों को 'बलि का बकरा' बनाया गया। उन पर निराधार आरोप लगाए गए कि वे देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं।
Bahut khub BHC tnx
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