हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद यूपी में नहीं हो सका उर्दू शिक्षकों की भर्ती! राष्ट्रपति को लिखा पत्र तो मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री से मिल चुके हैं अभ्यर्थी!
जब से भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है एक कम्युनिटी के लोगों को बार-बार टॉर्चर किया जा रहा है जब के उस कम्युनिटी के लोग संविधान और भारतीय अखंडता की बात कर रहे हैं शाहीन बाग से लेकर के उत्तर प्रदेश के शिक्षक बहाली तक साफ-साफ भेदभाव दिखता नजर आ रहा है शाहीन बाग प्रोटेस्ट में सभी शामिल होने वाले लोगों को दिल्ली दंगा में शामिल होने का दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के द्वारा चार्जशीट दाखिल कर दिया गया है वहीं सन 2016 से अध्यापक बहाली में 4000 उर्दू शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जा चुकी थी लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार आते हैं उसको जांच के नाम पर रोक रखा बार-बार अभ्यर्थियों को घुमाते रहे उसके बाद राष्ट्रपति मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री से अभ्यर्थियों ने मिला लेकिन काम नहीं बना, आखिरकार अभ्यार्थी हाईकोर्ट का सहारा लिया लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है
यहां तक के 4000 ऊर्दू पद को ही समाप्त कर दिया गया है बहाना बनाते हुए की बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षकों की संख्या अधिक है इसलिए अभी बहाली नहीं किया जा सकता है यह उर्दू भाषा के साथ अन्याय और धोखा है
ज्ञात हो की 15 दिसंब, 2016 को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली गई. ये भर्ती 12460 सहायक अध्यापक और 4000 उर्दू शिक्षकों के लिए निकाली गई थी. फॉर्म भर दिया गया. मेरिट भी बन गई. 22 मार्च, 2017 से काउंसलिंग भी शुरू हो गई. इसी बीच उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आती है. नई सरकार इस भर्ती को अगले आदेश तक के लिए रोक देती है.
साढ़े तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. अब तक ये भर्ती वहीं पर रुकी है.
2017 के विधानसभा चुनाव में भर्तियों में धांधली का मुद्दा प्रमुख था. यही वजह थी कि नई सरकार ने आते ही सारी भर्तियों पर समीक्षा के नाम पर रोक लगा दी. जब दो महीने तक भर्ती प्रक्रिया से रोक नहीं हटाई गई तो 4000 उर्दू शिक्षक भर्ती में शामिल अभ्यर्थी मई 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास और जुलाई में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के पास गए और भर्ती को शुरू करने की मांग की. अंत में भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली. 12 अप्रैल, 2018 को हाईकोर्ट ने सरकार को 2 महीने के भीतर भर्ती को पूरा करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती में दिलचस्पी नहीं दिखाई. जबकि 12460 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया.
10 अगस्त, 2018 को कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई. इसके बाद 18 अगस्त, 2018 को सरकार ने एक लेटर जारी कर 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती को निरस्त कर दिया. इस लेटर में कहा गया, इस समय सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मानक से बहुत अधिक संख्या में उर्दू शिक्षक कार्यरत हैं. जिसकी वजह से अब और उर्दू शिक्षकों की आवश्यकता नहीं है. भर्ती प्रक्रिया में शामिल टीचर कोर्ट कचहरी से लेकर नेताओं तक के चक्कर काट रहे हैं. सोशल मीडिया (Media) पर कैम्पेन चला रहे हैं. मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को लेटर लिखकर भर्ती पूरी करने के लिए कह रहे हैं. लेकिन सरकार टस से मस नहीं हो रही.
मलिक के घार मे देर है अन्धेर नही
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