बिहार DEO ने अपने आदेश से नियोजित शब्द हटाया, जानिए पूरी खबर विस्तार से
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधान सभा चुनाव से पहले नियोजित शिक्षकों को मनाने की हर कोशिश कर रहे हैं।15 अगस्त के दिन गांधी मैदान से सेवा शर्त लागू करने का ऐलान किया और उसे लागू किया।इसके बाद भी शिक्षकों की नाराजगी खत्म नहीं हुई, फिर सीएम नीतीश ने अगली चाल चलते हुए कहा कि मीडिया ने ही शिक्षकों को नियोजित कहना शुरू कर दिया।सभी शिक्षक नियोजित नहीं बल्कि स्थायी हैं। उनके बयान के बाद पटना डीईओ ने जो आदेश निकाला उसमें नियोजित शिक्षक शब्द का ही प्रयोग किया।न्यूज4नेशन ने 29 सितबंर को यह खबर चलाई थी कि मुख्यमंत्री नियोजित शिक्षकों को फुसलाने के लिए ठीकरा मीडिया पर फोड़ रहे जबकि उनके अधिकारी ही नियोजित शब्द प्रयोग कर रहे।
न्यूज4नेशन की खबर के बाद पटना डीईओ की नींद खुली है।इसके बाद डीईओ ज्योति कुमार ने 1 सितबंर को शुद्धि पत्र जारी किया है। डीईओ ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि शिक्षक के आगे-पीछे नियोजित शब्द नहीं रहेगा,सिर्फ शिक्षक शब्द ही पढ़ा जाये।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 24 अगस्त के अपने संबोधन में यह कहकर साढ़े तीन लाख शिक्षकों को खुश करने की कोशिश की थी कि शिक्षक नियोजित नहीं हैं ।यह सब मीडिया की उपज है। सीएम नीतीश भले ही शिक्षकों को खुश करने के लिए नियोजित शब्द को खारिज कर दिया हो लेकिन हकीकत यही है कि सभी साढ़े तीन लाख शिक्षकों को लेकर नियोजत शब्द का प्रयोग किया जा रहा है।ऐसे में सीएम नीतीश की बात और सिस्टम की बात में रत्ती भर भी मेल नहीं खाता।
अब जरा देखिए पटना के शिक्षा विभाग के इस पत्र को।सीएम नीतीश ने जब यह कहा कि शिक्षक नियोजित नहीं हैं।उनके भाषण के बाद का यह पत्र पटना शिक्षा कार्यालय की तरफ से 29 अगस्त को जारी की गई है। पटना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज कुमार की तरफ से सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और स्कूल के प्रधानाध्यापक को पत्र लिखा गया है. पत्र में कहा गया है कि पंचायती राज संस्थाओं के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों(नियोजित) का पासबुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड की स्व अभिप्रमाणित प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. इस पत्र में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है की नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति- प्रोन्नति के संबंध में सेवा शर्त नियमावली 2020 अधिसूचित किया गया है. ऐसे में सभी नियोजित शिक्षकों की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं
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