खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी को ध्वस्त करने का फैसला वापस ले सरकार: कमर मिसबाही
(सीतामढी/प्रतिनिधि)
बिहार स्टेट उर्दू टिचर्स एसोसिएशन के आह्वान पर सुफफा सेन्ट्रल पबिलक स्कूल मेहसौल सीतामढ़ी सहित राज्यभर में आज "फोटो विद पोस्टर" के माध्यम से खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के एक हिस्से को ध्वस्त करने के सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज किया गया। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए, एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क़मर मिसबाही ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बिहार सरकार पटना में 130 साल पुरानी खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के एक बड़े हिस्से को ध्वस्त करने का फैसला किया है, जो एक पुरातत्व स्थल है।इस गैरजिम्मेदाराना फैसले के खिलाफ जि कई लेखकों, बुद्धिजीवियों और पुस्तक प्रेमियों,विद्यार्थी संगठनों , सहित कई प्रमुख संगठनों ने विरोध दर्ज किया है। एक पूर्व IPS अधिकारी ने अपना पदक लौटाकर विरोध दर्ज कराया। इसके बावजूद, नितीश सरकार पर इसका अभी तक कोई प्रभाव नजर नहीं आया है। कमर मिसबाही
ने कहा कि खुदा बख्श लाइब्रेरी को एक अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त है। इसे यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया गया है। इसकी स्थापना 1891 में बिहार के एक जमींदार मौलवी खुदा बख्श ने अपनी जमीन पर की थी।
उन्होंने आगे कहा कि यह पुस्तकालय सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए समान महत्व रखता है बावजूद इसके बिहार सरकार इसे ध्वस्त करने पर तूली है जो किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है। इस पुस्तकालय की सुंदरता इस तथ्य से स्पष्ट है कि सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों ने न केवल ज्ञान की प्यास बुझाई है, बल्कि सर्वोच्च पदों पर आसीन होकर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से बिहार की इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए अपने फैसले को पलटने की मांग की वरना जब तक फैसला पलटा नहीं जाता तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। इस वरचूअल आंदोलन में कोविड 19 का पालन करते हुए सिर्फ मोहम्मद असगर अली, मोहम्मद कौसर यजदानी मौजुद थे !
No comments:
Post a Comment