Sunday 27 September 2020

बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश के प्राइमरी शिक्षकों की फिर से टूटी आस!

बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश के प्राइमरी शिक्षकों की फिर से टूटी आस!



नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए अत्यधिक मात्रा में शिक्षकों की बहाली करने की आवश्यकता है जिसमें देश में सबसे ज्यादा बिहार में शिक्षकों की भर्ती की आवश्यकता है वही आए दिन शिक्षकों पर अत्यचार  हो रहे हैं बिहार के  शिक्षक सुप्रीम कोर्ट में जीते जीते हारे 

 वहीउतर प्रदेश में शिक्षकों के दिन प्रतिदिन आस टूटते जा रहे हैं

वही कुछ दिन पहले राजस्थान में शिक्षकों ने एनएच 28 जाम करके जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद पुलिस ने उनके उनके ऊपर दंडात्मक कार्रवाई की थी

 इस विषय में अत्यधिक विचार करने की आवश्यकता है की पद को रिक्त रहते हुए सरकार को बाहर नहीं कर रही है आखिरकार सरकार बगैर शिक्षक के स्कूल को कैसे चलाएं हमारे के दौरान एक तरफ तो बड़े यादव के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं वही गरीब हिंदुस्तानियों के बच्चे पांच 5 किलो चावल और गेहूं भीष्म लेने पर मजबूर है जब तक भारत में शिक्षा की करण लागू नहीं होगा तब तक कुछ कहना जल्दबाजी होगा

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करने की तैयारी हो रही है। इसके तहत बेसिक शिक्षा विभाग ने जो प्रावधान किए हैं उसमें पूर्व प्राथमिक शिक्षा से कक्षा 12 तक के शिक्षकों के चयन के लिए टीईटी अनिवार्य किया जाना है। इसी प्रावधान ने प्रदेश के 1.30 लाख शिक्षामित्रों की पूर्व प्राथमिक स्कूलों में समायोजन की आखिरी उम्मीद भी तोड़ दी है। दो दशक तक यूपी में प्राथमिक शिक्षा संभालने वाले शिक्षामित्रों की पक्की नौकरी का सपना अब पूरा होता नहीं दिख रहा है।

27 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से बगैर टीईटी सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद 1.37 लाख शिक्षामित्रों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया था। प्रदेश सरकार ने पिछले साल अक्तूबर में 1.89 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूल बनाने का निर्णय लिया था। नई नीति में 3 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी स्कूल में शिक्षा देना अनिवार्य है।

इससे शिक्षामित्रों को उम्मीद जगी थी कि पूर्व प्राथमिक स्कूलों में परिवर्तित हो रहे आंगनबाड़ी में उनका समायोजन हो जाएगा।
तकरीबन सात हजार शिक्षामित्रों को 68,500 भर्ती में नौकरी मिल गई लेकिन शेष 1.30 लाख वर्तमान में संघर्ष कर रहे हैं। टीईटी नहीं करने के कारण ही उनका समायोजन निरस्त हुआ था। इसलिए पूर्व प्राथमिक की भर्ती में टीईटी की अनिवार्यता उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरन आनंद ने एक सितंबर को सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के उद्देश्य से किए गए प्रावधान और कार्ययोजना के प्रचार-प्रसार और विस्तृत चर्चा के निर्देश दिए हैं। उसी पत्र में पूर्व प्राथमिक से कक्षा 12 तक टीईटी अनिवार्य करने की भी बात है।

1.70 लाख शिक्षामित्रों में से 1.37 लाख हुए थे समायोजित
प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 2001 से विभिन्न चरणों में प्रदेश में 1.70 लाख शिक्षामित्र नियुक्त हुए थे। इनमें से 1.37 लाख का समायोजन हो सका था जो बाद में निरस्त हो गया। शेष 33 हजार शिक्षामित्र पूर्व की स्थिति में हैं।

इनका कहना है
शिक्षामित्रों की नियुक्ति कक्षा एक एवं दो के बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई थी जिसका उन्हें लगभग 20 वर्ष का अनुभव है। ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि प्री-प्राइमरी में शिक्षामित्रों को समायोजित कर उनका भविष्य सुरक्षित करे। टीईटी नए अभ्यर्थियों पर लागू हो शिक्षामित्रों पर नहीं।
कौशल कुमार सिंह, प्रदेश मंत्री, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ

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