अप्रशिक्षित शिक्षकों की बर्खास्तगी बदले की कार्रवाई! राज्य सचिव BSUTA मोo फिरोज आलम,
या जो शिक्षक अनुकंपा पर बहाल हुए हैं उन्हें वेतन सहित ट्रेनिंग करने की अनुमति प्रदान किए जाएं
और करवाई करने के लिए जो सरकार के द्वारा पत्र निर्गत किया गया है उसे ढील देते हुए कम से कम 2 साल की और वृद्धि किया जाए
वर्तमान सरकार अपनी कमजोरी और कोताहीयो का ठीकरा बिहार के शिक्षकों पर फोड़ना चाहती है आपको बता दें कि सरकार की अनियमितता की वजह से शिक्षक समुदाय काफी परेशान हैं 2 साल की ट्रेनिंग में चार-चार साल समय की बर्बादी हो रही है लेकिन सरकार इसके लिए कोई पहल नहीं कर रही है आपको यह भी बता दें कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा देश के साडे 14 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए एनआईओएस को चुना गया था जोकि एन आई ओ एस उसकी काबिल नहीं थी जिसकी खामियाजा आज भी शिक्षक भुगत रहे हैं और दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं कभी पटना की गलियों के चक्कर लगा रहे हैं तो कभी नोएडा दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं!
इतने भारी मात्रा में शिक्षकों को ट्रेनिंग करवाना सरकार के लिए भले ही उपलब्धि हो लेकिन एनआईओएस पूरी तरह से विफल रही और सरकार के इशारे पर एनआईओएस भी शिक्षकों को समय समय पर प्रताड़ित करती रही आज भी हजारों शिक्षक ट्रेनिंग प्रक्रिया पूर्ण करने के बावजूद भी अप्रशिक्षित शिक्षकों का वेतन प्राप्त कर रही है जिनको इंटर में 50% अंक कम होने का बहाना लगा कर के रिजल्ट को नॉट क्लियर दिखाया जा रहा है बार-बार शिक्षकों द्वारा परीक्षा देने के बावजूद भी पुनः उसी रिजल्ट को दर्शाया जा रहा है जिसके वजह से शिक्षक पुनः कॉपी जांच के लिए तरह-तरह की प्रक्रियाओं को अपना रहे हैं उसके बावजूद भी हो उसी नंबर को या 2-4 नंबर घटा बढ़ा करके दर्शाया जाता है जो के निंदनीय है सरकार को चाहिए कि किसी भी शिक्षक पर कार्रवाई करने से पहले उसे जुड़े सभी पदाधिकारियों को जरूर सबक सिखाऐ जो कि शिक्षकोंं के मानसिक आर्थिक शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार शुरू से ही शिक्षकों के खिलाफ रहे हैं जब जब शिक्षक समुदाय के द्वारा आंदोलन किया जाता है उसके मांगों को सुनने के बजाय उसके ऊपर लाठियां बरसाई जाती हैं आज यही हाल किसानों के साथ हो रहा है
बिहार सरकार ने हर संभव कोशिश कर शिक्षक आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की और बहुत हद तक कामयाब भी रही चाहे वह कोर्ट के मामला हो या फिर रोड की इसलिए फिर से बिहार स्टेट उर्दू टीचर्स एसोसिएशन बिहार सरकार से यह मांग करती है कि अप्रशिक्षित शिक्षकों की अविलंब ट्रेनिंग करवाने की कोई व्यवस्था कराऐ या जो शिक्षक किसी भी ट्रेनिंग कॉलेज यूनिवर्सिटी में नामांकित हो चुके हैं उनके ऊपर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं किया जाए या जो शिक्षक अनुकंपा पर बहाल हुए हैं उन्हें वेतन सहित ट्रेनिंग करने की अनुमति प्रदान किए जाएं और करवाई करने के लिए जो सरकार के द्वारा पत्र निर्गत किया गया है उसे ढील देते हुए कम से कम 2 साल की और वृद्धि किया जाए ऐसा नहीं करने पर सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जा सकता है या कोर्ट के सहारा भी लिया जा सकता है उक्त भात बिहार स्टेट उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के राज्य सचिव सह जिला अध्यक्ष मोहम्मद फिरोज आलम ने बताई